मनुष्य की सबसे बडी विशेषता यह है कि वह एक सामाजिक प्राणी है। वह जहां भी रहता है, वहीं उसका एक सामाजिक संगठन गठित हो जाता है। भारत के औद्योगिक तीर्थों में से अन्तम अंकलेश्वर इसका एक जीवन्त उदाहरण है। यहां भारत के अलग-अलग राज्यों से आये हुए सभी जाति धर्मों के अपने अपने संगठन है जो उनकी" विशेष पहचान बनाए रखने में सहायक होते हैं। क्षत्रिय कल्याण सभा भी उनमें से एक है। देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए क्षत्रिय समाज के लोगों का यह एक सामाजिक संगठन है। सम्भवतः यह 2011 की बात है। दूर-दूर से अंकलेश्वर आए हुए क्षतिय समाज के लोगो के बीच यह विचार जन्म लेने लगा कि यहां क्षत्रियों का एक सामाजिक संगठन बनाया जाना चाहिए ताकि सभी तरह के सामाजिक कार्यों के लिए उनके पास एक मंच हो जिससे सामाजिक रीति-रिवाजों का निर्वाह करने में एक दूसरे की सहायता की जा सके। कुछ लोगो ने अपने विचारों को संगठन का रुप देने की दिशा में प्रारंभिक कार्य का भी कर दिया था। आपस की चर्चाओं में यह जाहिर हुआ कि कई लोग इस इस दिशा मेंप्रयत्नशील हो चुके थे जिसका उद्देश्य एक ही था। अतः सबने मिलकर कार्य करने का निश्चय किया और इस सिलसिले में आर्य समाज के सभा कक्ष में एक बडी बैठक आहूत की गई। सभा का निरन्तर विस्तार होता जा रहा था। इसके कार्यों को ठीक ढंग से आगे बढाने के लिये 22-01-1989 को जुबली पार्क सेक्टर 6 की आम सभ में एक कार्य-कारिणी समिति गठित की गई जिसमें पूरे अंकलेश्वर क्षेत्र को कई क्षेत्रों में बांट कर हर क्षेत्र से प्रतिनिधि ले कर नया प्रयोग किया गया। नई कार्य-कारिणी में निम्नलिखित क्षत्रिय बंधु सर्व सम्मति से चुने गये।
समाज के विकास का यह रथ अब सोपान दर सोपान विकास की हर मंजिलों को तय करता जा रहा है और भविष्य में भारत ही नही पूरे विश्व के स्वजातीय बंधुओं को एक सूत्र में बांधकर रहेगा ऎसा उनका स्वप्न है। हमें विश्वास है कि एक दूसरे की सहायता करते हुए हम क्षत्रिय कल्याण सभा को अंकलेश्वर एवं आदर्श सामाजिक संगठन का रुप दे पाने में सफ़ल होंगे। |